बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान के प्रश्नोत्तर
प्रश्न- विस्मरण के निर्धारक और कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
मनोवैज्ञानिकों ने विस्मरण के बहुत से कारण बतलाये हैं। जो विस्मरण को प्रभावित करते है। इनमें से कुछ कारक सीखे गये विषय के स्वरूप तथा सीखने की विधि से संबंधित है. कुछ स्वयं सीखने वाले व्यक्ति से संबंधित है तथा कुछ कारण अंतराल में होने वाले कारकों से संबंधित है।
1. सीखना से संबंधित कारक (Factors related to learning) - किसी भी विषय के विस्मरण का प्रश्न तब उठता है जब पहले कभी उसे सीखा गया हो। अतः स्वाभाविक है कि किसी विषय को सीखने से संबंधित कारकों द्वारा विस्मरण की मात्रा प्रभावित होती हो। कुछ ऐसे कारक निम्नांकित हैं -
(i) सीखे जाने वाले विषय के स्वरूप (Nature of learnt Material) - सामान्यतः सीखे जाने वाले विषय का स्वरूप सार्थक या निरर्थक हो सकता है। मनोवैज्ञानिकों ने अपने-अपने प्रयोगों के आधार पर यह स्पष्ट कर दिया है कि जब सीखा जाने वाला विषय निरर्थक होता है तो वैसी हालत में उसे सीखने में भी अधिक प्रयास लगता हैं तथा साथ ही साथ उसका विस्मरण भी जल्दी हो जाता है।
(ii) सीखने की मात्रा (Degree of learning) - किसी विषय को सीखने के लिए जितने प्रयासों की आवश्यकता है, उससे अधिक प्रयास तक उसे सीखना अधिक्य सीखना (overlearning) कहलाता है तथा जरूरत के प्रयासों से भी कम प्रयास तक ही सीखने को न्यून सीखना (underlearning) कहा जाता है। जब किसी विषय को जरूरत के प्रयासों से भी अधिक प्रयासों तक सीखा जाता है तो उसकी स्मृति मजबूत होती है क्योंकि उससे बनने वाले स्मृति चिन्ह काफी सुदृढ तथा प्रबल होते है। फलस्वरूप इसका विस्मरण देरी से होता है
(iii) सीखे गये विषय की लम्बाई (Length of the learnt Task) सीखे गये विषय की लम्बाई का प्रभाव स्मृति पर सीधा पड़ता है और फिर वह विस्मरण को भी प्रभावित करता है। लम्बे विषयों की धारणा छोटे विषयों की अपेक्षा अधिक होती है। क्योंकि लम्बे विषय को व्यक्ति बार-बार दोहराता है। फलस्वरूप लम्बे विषय का विस्मरण, छोटे विषय के विस्मरण की अपेक्षा देरी से होता है।
(iv) सीखने की विधि (Methods of learning) - यदि सीखने की विधि गलत तथा अनुपयुक्त होती है तो इससे भी विस्मरण होता है। मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से यह पाया जाता है, कि जब व्यक्ति किसी विषय को साभिप्राय विधि से सीखता है तो आनुप्रासंगिक विधि (incidental method) से सीखने की अपेक्षा उसका विस्मरण धीरे-धीरे होता है। उसी तरह से यदि व्यक्ति किसी विषय को सक्रिय विधि (Passive method) से सीखता है तो उसका भी विस्मरण तेजी से होता है।
(v) एकांशों का क्रमिक स्थान (Serial position of Items ) - मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि सूची में एकांशों के स्थान से भी विस्मरण प्रभावित होता है।
2. धारण अन्तर से संबंधित कारक (Factors Relating to Retention interval) - किसी विषय को सीखने तथा उसके धारण की जाँच करने तक के अन्तराल को धारण अवधि कहा जाता है। इस धारण अवधि में कुछ प्रमुख घटित होने वाले कारण निम्नलिखित है जिनसे विस्मरण प्रभावित होता है।
(i) पृष्ठोन्मुख अवरोध या पूर्वलक्षी प्रावरोध (Retroactive Inhibition) धारण अंतराल में जब व्यक्ति किसी नये पाठ को सीखता है तो इसका प्रभाव मौलिक विषय के सीखने से उत्पन्न स्मृति चिन्हों पर पड़ता है। इस प्रभाव का परिणाम यह होता है कि मौलिक विषय के स्मृति चिन्ह कमजोर पड़ जाते है और उसका विस्मरण हो जाता है। अतः बाद के सीखने द्वारा सीखे गए मौलिक विषय के धारण में उत्पन्न अवरोध प्रभाव को पृष्ठोन्मुख अवरोध कहा जाता है।
(ii) अग्रलक्षी अवरोध (Proactive Inhibition) - अग्रलक्षी प्रावरोध विस्मरण का दूसरा महत्वपूर्ण कारक है। जब किसी पाठ या विषय को सीखने से उसका प्रत्यक्षण (recall) करते है तो उस समय कुछ वैसे विषयों या पाठ जो उस विषय या पाठ से भी पहले सीखा गया होता है, बाधा पहुँचती है। इस तरह की बाधा या प्रावरोध या अवरोध को अग्रलक्षी प्रावरोध कहा जाता है।
3. सीखने वाले व्यक्ति से संबंधित कारक (Factors Relating to learner) - मनोवैज्ञानिकों ने विस्मरण के कुछ इस तरह के भी कारण बतलाएँ हैं जो पाठ या विषय को सीखने वाले व्यक्ति से संबंधित होता है। ऐसे कुछ प्रमुख कारक निम्नांकित है -
(i) स्वास्थ्य (Health) - विस्मरण की मात्रा व्यक्ति के स्वास्थ्य द्वारा प्रभावित होती है। यदि व्यक्ति प्रायः रोगग्रस्त रहता है तो उसका स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है
कि व्यक्ति किसी पाठ के सीखने से उत्पन्न स्मृति चिन्ह को अधिक समय तक धारण किए नहीं रह पाता है।
(ii) मानसिक वृत्ति (Mental Set) - मानसिक वृत्ति या प्रत्याशा से भी विस्मरण होता है। जब व्यक्ति को एक निश्चित समय देकर पूर्व सीखे गए विषय का प्रत्याह्नन करने को कहा जाता है तो वैसी परिस्थिति में प्रत्याह्नन काफी अच्छा होता है, यानि विस्मरण की मात्रा काफी कम होती है।
(iii) सांवेगिक कारण (Emotional Factors) - सीखे गये विषय का प्रत्याह्नन करते समय व्यक्ति की सांवेगिक स्थिति का भी उस पर प्रभाव पड़ता है। यदि व्यक्ति उस समय किसी कारण अधिक चिन्तित डरा हुआ तथा घबडा हुआ है, तो स्वभावतः उसका प्रत्याह्नन अधिक नहीं हो पाता है और विस्मरण की मात्रा बढ़ जाती है।
(iv) अभिप्रेरणात्मक कारक (Motivational Factors) - विस्मरण की मात्रा व्यक्ति के अभिप्रेरणात्मक स्थिति पर भी निर्भर करती है। प्रायः किसी कार्य को करने या विषय को सीखने के पीछे अभिप्रेरणा अवश्य होती है। जब व्यक्ति किसी कार्य को पूर्णरूपेण सीख लेता है तो उसका अभिप्रेरण तथा अभिरुचि समाप्त हो जाती है। फलस्वरूप व्यक्ति विषय के बहुत सारे अंश को कुछ समय बाद भूल जाता है। दूसरी तरफ यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य या विषय को किसी कारणवश पूरा न करके बीच में ही छोड़ देता है तो उससे सम्बन्धित अभिरुचि बनी रहती है। फलतः व्यक्ति ऐसे विषय पाठ को भूलता नहीं है।
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- प्रश्न- मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिये। इसके लक्ष्य बताइये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान के उपागमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहार के मनोगतिकी उपागम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहारवादी उपागम क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक परिप्रेक्ष्य से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानवतावादी उपागम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- भगवद्गीता में मनोविज्ञान को किस प्रकार समाहित किया है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन में मनोविज्ञान को किस प्रकार व्याख्यित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में मनोविज्ञान किस प्रकार परिभाषित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए इसकी विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
- प्रश्न- जब {D2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
- प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के किन्ही दो सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए
- प्रश्न- दीर्घीकृत ध्यान का स्वरूप स्पष्ट करते हुए, उसके निर्धारक की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के स्वरूप को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान तथा दीर्घीकृत अवधान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबन्धन सिद्धान्त का विवेचन कीजिए तथा प्राचीन अनुबन्धन के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- क्लासिकल अनुबंधन तथा क्लासिकल अनुबंधन को प्रभावित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन का अर्थ और उसकी आधारभूत प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम अन्तरण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना से आप क्या समझते हैं? शाब्दिक सीखने के अध्ययन में उपयुक्त सामग्रियाँ बताइए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना में स्तरीय विश्लेषण किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना की संगठनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन में संज्ञानात्मक कारकों की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के नियमों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परिवर्जन सीखना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीखने को प्रभावित करने वाले कारक।
- प्रश्न- स्मृति की परिभाषा दीजिये। स्मृति में सुधार कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- स्मृति के प्रकारों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मृति में संरचनात्मक एवं पुनर्सरचनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रासंगिक तथा अर्थगत स्मृति से क्या आशय है? इनमें विभेद कीजिये।
- प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति को संक्षेप में बताते हुये दोनों में विभेद कीजिये।
- प्रश्न- 'व्यतिकरण धारण को प्रभावित करता है।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मृति के स्वरूप पर प्रकाश डालिए। स्मृति को मापने की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के निर्धारक और कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संकेत आधारित विस्मरण किसे कहते हैं? विस्मरण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मरण के प्रकार बताइयें।
- प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- स्मृति सहायक प्रविधियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- विस्मरण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुनः प्राप्ति संकेतों के अभाव में किस प्रकार विस्मरण होता है?
- प्रश्न- स्मृति लोप क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के अवशेष-प्रसक्ति समाकलन सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- ध्यान के कौन-कौन से निर्धारक होते है?
- प्रश्न- दीर्घकालीन स्मृति तथा उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ध्यान की मुख्य विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के संज्ञानपरक उपागम से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
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- प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
- प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
- प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
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- प्रश्न- गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
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- प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
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- प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- आवश्यकता-अनुक्रमिकता से क्या तात्पर्य है? मैसलो के अभिप्रेरणा सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक एक प्रमुख सामाजिक प्रेरक है। स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- जैविक अभिप्रेरकों के दैहिक आधार का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- दाव एवं खिंचाव तंत्र अभिप्रेरित व्यवहार में किस प्रकार कार्य करता है?
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